दुर्ग भिलाई ज्योतिष मांगलिक दोष क्या है:Manglik Dosha

दुर्ग भिलाई ज्योतिष मांगलिक दोष क्या है:Manglik Dosha


दुर्ग भिलाई ज्योतिष मांगलिक दोष क्या है:Manglik Dosha

दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से जानें क्या होता है मांगलिक दोष जिसके कारण विवाह में आती हैं अड़चनें?

दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण के अनुसार, मांगलिक दोष एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय समस्या है, जो विवाह में बाधाएं उत्पन्न कर सकती है। यह दोष किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति पर निर्भर करता है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति खराब होती है, तो यह उसके जीवन में विभिन्न प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का कारण बन सकता है।

लक्ष्मी नारायण बताते हैं कि मांगलिक दोष का प्रभाव विशेष रूप से विवाहित जीवन पर पड़ता है। यह दोष विवाह के समय कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करने के लिए विवाहित व्यक्तियों को मजबूर कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र में इसे मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव के रूप में देखा जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मकता लाता है।

मांगलिक दोष के विभिन्न प्रकार होते हैं, और यह जानना आवश्यक है कि ये किस प्रकार से व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। इस दोष के कारण विवाह में आने वाली अड़चनें और समस्याएं समझने के लिए ज्योतिषीय दृष्टिकोण से गहराई से अध्ययन करना आवश्यक है। इस प्रकार, मांगलिक दोष को समझकर व्यक्ति अपने जीवन में सुधार कर सकता है।

आंशिक मांगलिक दोष और सात्विक मांगलिक दोष

आंशिक मांगलिक दोष एक अपेक्षाकृत हल्का दोष है, जो व्यक्ति की जन्म कुंडली में मंगल की स्थिति के कारण उत्पन्न होता है। यह दोष तब प्रकट होता है जब मंगल ग्रह कुंडली के पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें घर में स्थित होता है। इस स्थिति में मंगल का प्रभाव सीमित होता है और इसके गंभीर परिणाम नहीं होते हैं। आंशिक मांगलिक दोष को कम करने के लिए साधारण उपचारों की आवश्यकता होती है, और यह माना जाता है कि व्यक्ति की आयु 18 वर्ष होने पर इसका प्रभाव सामान्यतः कम हो जाता है।

सात्विक मांगलिक दोष एक अधिक गंभीर प्रकार का दोष है, जो तब उत्पन्न होता है जब मंगल ग्रह जन्म कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें घर में स्थित होता है। इसे मांगलिक दोष का एक प्रबल रूप माना जाता है, जो वैवाहिक जीवन में विभिन्न चुनौतियों और बाधाओं का कारण बन सकता है। इस दोष के प्रभाव से व्यक्ति के संबंधों में तनाव और कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे वैवाहिक जीवन में अस्थिरता आ सकती है।

मांगलिक दोष के विभिन्न प्रकारों की पहचान और उनके प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है, ताकि उचित उपाय किए जा सकें। आंशिक और सात्विक मांगलिक दोष दोनों के लिए अलग-अलग उपचारों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, ज्योतिष शास्त्र में इन दोषों का विश्लेषण कर व्यक्ति को सही मार्गदर्शन प्रदान किया जा सकता है, जिससे वे अपने जीवन में संतुलन और सुख प्राप्त कर सकें।

मंगल दोष के प्रभाव होने से क्या होता है

मंगल दोष के प्रभाव से विवाह में विलंब और विभिन्न प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। यदि विवाह संपन्न भी हो जाता है, तो जीवनसाथी के साथ सामंजस्य स्थापित करने में कठिनाई होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह दोष कुंडली के सातवें भाव से संबंधित है, जिसे विवाह या वैवाहिक जीवन का प्रतीक माना जाता है, और इस भाव में मंगल की उपस्थिति अशुभ मानी जाती है।

मांगलिक दोष का प्रभाव व्यक्ति की शारीरिक क्षमताओं में कमी, आयु में कमी, रोगों की प्रवृत्ति और पारिवारिक कलह को जन्म देता है। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति का स्वभाव अक्सर गुस्सैल और अहंकारी हो जाता है। इस प्रकार, मंगल दोष का प्रभाव न केवल वैवाहिक जीवन पर, बल्कि व्यक्ति के समग्र जीवन पर भी नकारात्मक असर डालता है।

इस दोष के कारण व्यक्ति को मानसिक और भावनात्मक तनाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उसके जीवन की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इसलिए, ज्योतिषी सलाह देते हैं कि मांगलिक दोष का समाधान करने के लिए उचित उपाय किए जाएँ, ताकि व्यक्ति अपने जीवन में सुख और शांति प्राप्त कर सके। इस प्रकार, मंगल दोष के प्रभाव को समझना और उसका समाधान करना अत्यंत आवश्यक है।

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