दुर्ग भिलाई ज्योतिष से जाने कालसर्प दोष क्या है:KalSarpa Dosh in hindi
दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से जानें क्या होता है क्या होता है काल सर्प दोष और इसे किस तरह पहचानें?
दुर्ग भिलाई के ज्योतिषी लक्ष्मी नारायण के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की स्थिति व्यक्ति की कुंडली में शुभ और अशुभ योगों का निर्माण करती है। शुभ योग व्यक्ति के जीवन में अनेक सफलताओं का कारण बनते हैं, जबकि अशुभ योग व्यक्ति को विपरीत परिस्थितियों में डाल सकते हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण अशुभ योग कालसर्प दोष है, जिसके प्रभाव से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
कालसर्प दोष की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु के बीच सभी ग्रह स्थित होते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके प्रभाव से जातक की जीवन में सकारात्मकता कम हो जाती है और वह कई बार असफलताओं का सामना करता है।
कालसर्प दोष के लक्षणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। यदि किसी व्यक्ति को लगातार असफलता, मानसिक तनाव, या आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, तो यह संभव है कि उसकी कुंडली में कालसर्प दोष हो। इस दोष के प्रभाव को समझकर और उचित उपाय करके व्यक्ति अपने जीवन में सुधार ला सकता है।
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क्या है कालसर्प दोष
कालसर्प दोष एक ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसे लक्ष्मी नारायण के अनुसार, कुंडली में राहु और केतु के बुरे प्रभावों के रूप में परिभाषित किया गया है। जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु और केतु के बीच अन्य ग्रह उपस्थित होते हैं, तो इसे कालसर्प दोष माना जाता है। इस दोष का संबंध ज्योतिष में काल के प्रतीक राहु और सर्प के प्रतीक केतु से है, जो इस दोष की गंभीरता को दर्शाता है।
ज्योतिष शास्त्र में राहु को मृत्यु का प्रतीक माना जाता है, जबकि केतु को सर्प का अधिदेवता कहा गया है। राहु को सांप का मुख और केतु को सांप की पूंछ के रूप में देखा जाता है। इस प्रकार, जब ये दोनों ग्रह एक विशेष स्थिति में होते हैं, तो यह व्यक्ति की कुंडली में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं, जिससे जातक के जीवन में अनेक कठिनाइयाँ आ सकती हैं।
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए राहु और केतु के प्रभाव सकारात्मकता को नष्ट कर देते हैं। इस दोष के कारण व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की बाधाओं और समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, ज्योतिष में इस दोष का समाधान खोजने के लिए उपायों की खोज की जाती है, ताकि जातक के जीवन में संतुलन और समृद्धि लौटाई जा सके।
कालसर्प दोष के लक्षण क्या होते है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष उपस्थित होता है, वे विभिन्न प्रकार की शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करते हैं। यह दोष जातक के जीवन में कई कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकता है, जिससे उनकी सामान्य दिनचर्या प्रभावित होती है।
कालसर्प दोष से ग्रसित जातकों को संतान से संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इस दोष के कारण परिवार में तनाव और असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जो कि जातक के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
इसके अतिरिक्त, ऐसे व्यक्तियों को नौकरी में भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने कार्यस्थल पर स्थिरता प्राप्त करने में कठिनाई होती है, और अक्सर उन्हें अपने सपनों में मृत्यु या सांप जैसी भयानक छवियाँ देखने को मिलती हैं। यह सब मिलकर उनके जीवन को और भी जटिल बना देता है।
कालसर्प दोष निवारण के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन व्यक्तियों की कुंडली में कालसर्प दोष विद्यमान है, उन्हें भगवान विष्णु की नियमित पूजा करनी चाहिए। यह उपाय उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक हो सकता है। इसके अतिरिक्त, शनिवार के दिन बहते जल में कोयले के टुकड़े प्रवाहित करने से भी इस दोष का निवारण किया जा सकता है।
कालसर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए बहते पानी में मसूर की दाल और साबुत नारियल प्रवाहित करने का भी सुझाव दिया गया है। यह उपाय विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। सावन के महीने में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना और भगवान शिव की प्रतिमा पर दूध मिश्रित जल अर्पित करना भी इस दोष के निवारण में सहायक हो सकता है।
इसके अलावा, शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा करना भी एक महत्वपूर्ण उपाय है, जिसे प्रत्येक शनिवार को नियमित रूप से करना चाहिए। इस प्रकार के उपायों से जातक अपने जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति कर सकते हैं।
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