दुर्ग भिलाई ज्योतिष से जानें शनि की साढ़ेसाती क्या है: sade sati in Hindi
दुर्ग भिलाई ज्योतिष लक्ष्मी नारायण से यह जानना आवश्यक है कि शनि की साढ़ेसाती का क्या अर्थ है। इसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कौन से उपाय किए जाने चाहिए और किन मंत्रों का जाप करना लाभकारी होगा।
लक्ष्मी नारायण के अनुसार, ज्योतिष शास्त्र में शनि का एक महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हें न्याय का देवता माना जाता है, जो लोगों को उनके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं। इस कारण से शनि देव को कर्मफल दाता के रूप में भी जाना जाता है।
शनि की साढ़ेसाती के दौरान व्यक्ति को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए उचित उपाय और मंत्रों का जाप करना आवश्यक है। इससे न केवल शनि के बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है, बल्कि जीवन में संतुलन और समृद्धि भी प्राप्त की जा सकती है।
क्या होती है शनि की साढ़े साती?
लक्ष्मी नारायण के अनुसार शनि की साढ़े साती एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय अवधारणा है, जिसका अर्थ है लगभग साढ़े सात वर्षों की अवधि। शनि ग्रह 12 राशियों के चक्कर लगाने में लगभग 30 वर्ष का समय लेते हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वे प्रत्येक राशि में लगभग ढाई वर्ष तक निवास करते हैं। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में चंद्र राशि से 12वें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है, तब उस व्यक्ति के लिए साढ़े साती की अवधि शुरू होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि जब जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ और अष्टम भाव में भ्रमण करते हैं, तो इसे शनि की छोटी साढ़े साती कहा जाता है। यह स्थिति व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की चुनौतियों और परिवर्तनों का संकेत देती है। इसके अतिरिक्त, यदि शनि ग्रह किसी की कुंडली के पहले, दूसरे, बारहवें भाव या जन्म के चंद्रमा के ऊपर से गुजरता है, तो भी इसे साढ़े साती की स्थिति माना जाता है।
साढ़े साती का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण होता है और इसे समझना आवश्यक है। यह अवधि व्यक्ति के लिए कठिनाइयों और संघर्षों का समय हो सकता है, लेकिन साथ ही यह आत्म-विश्लेषण और विकास का भी अवसर प्रदान करता है। इस समय में धैर्य और संयम बनाए रखना आवश्यक होता है, ताकि व्यक्ति अपने जीवन की चुनौतियों का सामना कर सके।
शनि की साढ़ेसाती के चरण और बचने के उपाय
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की साढ़ेसाती के तीन प्रमुख चरण होते हैं, जो व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। जब शनि की साढ़ेसाती किसी राशि पर आती है, तो उस राशि के जातक को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इस समय के दौरान, जीवन में अनेक कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, जिससे व्यक्ति को मानसिक तनाव और अन्य परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ विशेष उपाय और मंत्रों का उपयोग किया जा सकता है। ये उपाय व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होते हैं। सही समय पर और सही तरीके से किए गए ये उपाय व्यक्ति को शनि के कुप्रभाव से बचाने में मदद कर सकते हैं, जिससे जीवन में संतुलन और शांति बनी रहती है।
शनि की साढ़ेसाती के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन तिल और साबुत दाल का दान करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह दान किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को देना चाहिए, जिससे दान का फल अधिकतम हो सके। इस प्रकार के धार्मिक और सामाजिक कार्य व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होते हैं।
मन्त्र
ॐ शनि शनिस्चराये नमः
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